Wednesday, 28 January 2015

भगवान हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है | कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और हिमालय के जंगलों में रहते हैं | वे भक्तों की सहायता करने मानव समाज में आते हैं लेकिन किसी को आँखों से दिखाई नहीं देते | लेकिन एक ऐसा मंत्र है जिसके जाप से हनुमान जी भक्त के सामने साक्षात प्रकट हो जाते हैं | मंत्र है : कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु , निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु यह मंत्र तभी काम करता है जब नीचे लिखी दो शर्ते पूरी हों - (1) भक्त को अपनी आत्मा के हनुमान जी के साथ संबंध का बोध होना चाहिए | (2) जिस जगह पर यह मंत्र जाप किया जाए उस जगह के 980 मीटर के दायरे में कोई भी ऐसा मनुष्य उपस्थित न हो जो पहली शर्त को पूरी न करता हो | अर्थात या तो 980 मीटर के दायरे में कोई नहीं होना चाहिए अथवा जो भी उपस्थित हो उसे अपनी आत्मा के हनुमान जी के साथ सम्बन्ध का बोध होना चाहिए | यह मंत्र स्वयं हनुमान जी ने पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहने वाले कुछ आदिवासियों को दिया था | पिदुरु (पूरा नाम "पिदुरुथालागाला ) श्री लंका का सबसे ऊँचा पर्वत है | जब प्रभु राम जी ने अपना मानव जीवन पूरा करके समाधि ले ली थी तब हनुमान जी पुनः अयोध्या छोड़कर जंगलों में रहने लगे थे | उस समय वे लंका के जंगलों में भी भ्रमण हेतु गए थे जहाँ उस समय विभीषण का राज्य था | लंका के जंगलों में उन्होंने प्रभु राम के स्मरण में बहुत दिन गुजारे | उस समय पिदुरु पर्वत में रहने वाले कुछ आदिवासियों ने उनकी खूब सेवा की | जब वे वहां से लौटने लगे तब उन्होंने यह मंत्र उन जंगल वासियों को देते हुए कहा - "मैं आपकी सेवा और समर्पण से अति प्रसन्न हूँ | जब भी आप लोगों को मेरे दर्शन करने की अभिलाषा हो, इस मंत्र का जाप करना | मै प्रकाश की गति से आपके सामने आकर प्रकट हो जाऊँगा |" जंगल वासियों के मुखिया ने कहा -"हे प्रभु , हम इस मंत्र को गुप्त रखेंगे लेकिन फिर भी अगर किसी को यह मंत्र पता चल गया और वह इस मंत्र का दुरुपयोग करने लगा तो क्या होगा?" हनुमान जी ने उतर दिया - "आप उसकी चिंता न करें | अगर कोई ऐसा व्यक्ति इस मंत्र का जाप करेगा जिसको अपनी आत्मा के मेरे साथ सम्बन्ध का बोध न हो तो यह मंत्र काम नहीं करेगा |" जंगलवासियों के मुखिया ने पूछा -"भगवन , आपने हमें तो आत्मा का ज्ञान दे दिया है जिससे हम तो अपनी आत्मा के आपके साथ सम्बन्ध से परिचित हैं | लेकिन हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों का क्या ? उनके पास तो आत्मा का ज्ञान नहीं होगा | उन्हें अपनी आत्मा के आपके साथ सम्बन्ध का बोध भी नहीं होगा | इसलिए यह मंत्र उनके लिए तो काम नहीं करेगा |" हनुमान जी ने बताया -"मै यह वचन देता हूँ कि मै आपके कुटुंब के साथ समय बिताने हर 41 साल बाद आता रहूँगा और आकर आपकी आने वाली पीढ़ियों को भी आत्म ज्ञान देता रहूगा जिससे कि समय के अंत तक आपके कुनबे के लोग यह मंत्र जाप करके कभी भी मेरे साक्षात दर्शन कर सकेंगे |"


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