Monday, 26 January 2015

मानव  जीवन एक अनत लम्बाई  लिए  हुए श्रंखला   में ही गति शील  ही  हैं , यदि आज के जीवन  को  बर्तमान  माने  तो इसका  भविष्य  और  भूतकाल भी तो होना ही  चाहिए  ही ,  जीवन को एक रस्सी मान  ले  और  उसके मध्य  के  किसी भी  भाग के पकड़ ले  तो  निश्चय  ही   कहीं तो उसका  प्रारंभ  होगा और  कहीं तो उसका अंत  होगा ही भले  ही वह हमें दृष्टी गत   हो  या  न हो, ठीक  इसी  तरह हमें हमारा  न  अतीत मालूम हैं न  भविष्य  हम मध्य  में कहाँ  हैं , कहाँ जायेंगे यह सब  भी नहीं मालूम ,    जीवन के अनेक प्रश्नों  का उत्तर इतना आसान नहीं हैं , की मात्र  कुछ तर्क   और वितर्क से  वर्तमान  जीवन  की सारी उच्चता   और  विसंगतियों को समझा  जा  सके .उसके समझने के लिए  पूर्व जीवन दर्शन होना ही चाहिए ,  तब पता  चल सकता हैं  की  मेरे जीवन में ऐसा  क्यों हैं  इसका कारण क्या हैं  , और जब ये समझ में आ जायेगा  तो  उसके निराकरण  के  उपाय भी  खोजे जा सकते हैं . अन्यथा,पूरा  जीवन एक अनबुझ पहेली  सा बन कररह जायेगा , अपने देश  में  तीन महान  धर्म  का  उदय  हुआ  हैं ये  हिन्दू , बौद्ध  और जैन  धर्म हैं ,आपस में इनके कितने भी  विरोधाभास   दिखाए  दे पर  एक बात पर  सभी एक मत हैं की कर्म  फल तो  प्राप्त    होता   ही हैं   और सहन करना  ही पड़ेगा   वेदान्त कहता  हैं -हाँ हमने  ही उस कर्म का निर्माण  किया हैं तो हम ही उसे समाप्त कर भी  सकते हैं , पर कैसे  उसके लिए  कारण भी  तो जानना  पड़ेगा  न , आज के जीवन में  यही क्यों मेरा भाई  हैं या मेरे निकटस्थ  होते  हुआ भी इनके प्रति मेरे स्नेह सम्बन्ध क्यों नहीं  हैं , क्यों  दूरस्थ  होता  हुआ  भी व्यक्ति  अपना सा लगता हैं,  क्यों इतनी  गरीबी या शरीर में इतने  रोग  हैं  आदि आदि अनेक  प्रश्नों के उत्तर  भी मिल जाते हैं ,  क्या इस जीवन में  जो गुरु हैं या सदगुरुदेव हैं  क्या  वह   विगत  जीवन में भी या  उससे  भी  पहले के जीवन से जुड़े  हैं और क्या कारण  था  की /और कहाँ  से संपर्क टुटा , सब तो इस  पूर्व जीवन  दर्शन से  संभव  हैं,  आजकल अनेको  प्रविधिया  विकसित हैं ध्यानके माध्यमसे व्यक्ति  धीरे धीरे  पीछे जा सकता  हैं पर  ठीक    बाल्य काल  की    ४ वर्ष कि आयु से पहले जाना  बहुत  ही कठिन हैं , इस अवरोध को पास करना  कठिन हैं .सम्मोहन  भी एक विधा  हैं पर   उसके लिए  उच्चस्तरीय  सम्मोहनकर्ता होना चाहिए , साथ ही साथ  मानव मस्तिष्क इतना शक्तिशाली हैं  की  वह  जो नहीं हैं वह  भी आपको दिखा सकता हैं , इन तथ्योंको  जांच करना  जरुरी हैं .  साधना क्षेत्र  में  भी अनेको साधनाए हैं पर सभी इतनी क्लिष्ट  हैं  इन सभी   को ध्यान में रखते हुए  एक सरल प्रभाव दायक  साधना  आप सभी के लिए .. मन्त्र :*क्लीं पूर्वजन्म दर्शनाय फट्***सामान्य साधनात्मक  नियम :·  जप में  काले  रंग की हकीक माला का उपयोग करें·  साधना  बुध वार से प्रारंभ करसकते हैं ·  जप काल में  दिशा  दक्षिण   रहेगी ·  साधन काल में  धारण  किये जाने वाले वस्त्र और आसन  लाल  रंग के होंगे ·  धृत के दीपक को देखते हुए  रात्रि काल १०  बजे के बाद(10PM) मे 31 माला  मन्त्र जप होना चाहिए ·  यह क्रम ११ दिन तक चले अर्थात   कुल ११ दिन  तक साधना चलनी चाहिए . सफलता पूर्वक होने पर आपको स्वप्न या तन्द्रा अवस्था मे पूर्व जन्म सबंधित द्रश्य दिखाई देते है.  जिनके माध्यम से आपके जीवन की अनेक रहस्य  खुलती जाती हैं. आज के लिए बस इतना ही मानव  जीवन एक अनत लम्बाई  लिए  हुए श्रंखला   में ही गति शील  ही  हैं , यदि आज के जीवन  को  बर्तमान  माने  तो इसका  भविष्य  और  भूतकाल भी तो होना ही  चाहिए  ही ,  जीवन को एक रस्सी मान  ले  और  उसके मध्य  के  किसी भी  भाग के पकड़ ले  तो  निश्चय  ही   कहीं तो उसका  प्रारंभ  होगा और  कहीं तो उसका अंत  होगा ही भले  ही वह हमें दृष्टी गत   हो  या  न हो, ठीक  इसी  तरह हमें हमारा  न  अतीत मालूम हैं न  भविष्य  हम मध्य  में कहाँ  हैं , कहाँ जायेंगे यह सब  भी नहीं मालूम ,    जीवन के अनेक प्रश्नों  का उत्तर इतना आसान नहीं हैं , की मात्र  कुछ तर्क   और वितर्क से  वर्तमान  जीवन  की सारी उच्चता   और  विसंगतियों को समझा  जा  सके .उसके समझने के लिए  पूर्व जीवन दर्शन होना ही चाहिए ,  तब पता  चल सकता हैं  की  मेरे जीवन में ऐसा  क्यों हैं  इसका कारण क्या हैं  , और जब ये समझ में आ जायेगा  तो  उसके निराकरण  के  उपाय भी  खोजे जा सकते हैं . अन्यथा,पूरा  जीवन एक अनबुझ पहेली  सा बन कररह जायेगा , अपने देश  में  तीन महान  धर्म  का  उदय  हुआ  हैं ये  हिन्दू , बौद्ध  और जैन  धर्म हैं ,आपस में इनके कितने भी  विरोधाभास   दिखाए  दे पर  एक बात पर  सभी एक मत हैं की कर्म  फल तो  प्राप्त    होता   ही हैं   और सहन करना  ही पड़ेगा   वेदान्त कहता  हैं -हाँ हमने  ही उस कर्म का निर्माण  किया हैं तो हम ही उसे समाप्त कर भी  सकते हैं , पर कैसे  उसके लिए  कारण भी  तो जानना  पड़ेगा  न , आज के जीवन में  यही क्यों मेरा भाई  हैं या मेरे निकटस्थ  होते  हुआ भी इनके प्रति मेरे स्नेह सम्बन्ध क्यों नहीं  हैं , क्यों  दूरस्थ  होता  हुआ  भी व्यक्ति  अपना सा लगता हैं,  क्यों इतनी  गरीबी या शरीर में इतने  रोग  हैं  आदि आदि अनेक  प्रश्नों के उत्तर  भी मिल जाते हैं ,  क्या इस जीवन में  जो गुरु हैं या सदगुरुदेव हैं  क्या  वह   विगत  जीवन में भी या  उससे  भी  पहले के जीवन से जुड़े  हैं और क्या कारण  था  की /और कहाँ  से संपर्क टुटा , सब तो इस  पूर्व जीवन  दर्शन से  संभव  हैं,  आजकल अनेको  प्रविधिया  विकसित हैं ध्यानके माध्यमसे व्यक्ति  धीरे धीरे  पीछे जा सकता  हैं पर  ठीक    बाल्य काल  की    ४ वर्ष कि आयु से पहले जाना  बहुत  ही कठिन हैं , इस अवरोध को पास करना  कठिन हैं .सम्मोहन  भी एक विधा  हैं पर   उसके लिए  उच्चस्तरीय  सम्मोहनकर्ता होना चाहिए , साथ ही साथ  मानव मस्तिष्क इतना शक्तिशाली हैं  की  वह  जो नहीं हैं वह  भी आपको दिखा सकता हैं , इन तथ्योंको  जांच करना  जरुरी हैं .  साधना क्षेत्र  में  भी अनेको साधनाए हैं पर सभी इतनी क्लिष्ट  हैं  इन सभी   को ध्यान में रखते हुए  एक सरल प्रभाव दायक  साधना  आप सभी के लिए .. मन्त्र :*क्लीं पूर्वजन्म दर्शनाय फट्***सामान्य साधनात्मक  नियम :·  जप में  काले  रंग की हकीक माला का उपयोग करें·  साधना  बुध वार से प्रारंभ करसकते हैं ·  जप काल में  दिशा  दक्षिण   रहेगी ·  साधन काल में  धारण  किये जाने वाले वस्त्र और आसन  लाल  रंग के होंगे ·  धृत के दीपक को देखते हुए  रात्रि काल १०  बजे के बाद(10PM) मे 31 माला  मन्त्र जप होना चाहिए ·  यह क्रम ११ दिन तक चले अर्थात   कुल ११ दिन  तक साधना चलनी चाहिए . सफलता पूर्वक होने पर आपको स्वप्न या तन्द्रा अवस्था मे पूर्व जन्म सबंधित द्रश्य दिखाई देते है.  जिनके माध्यम से आपके जीवन की अनेक रहस्य  खुलती जाती हैं. आज के लिए बस इतना ही 


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